वीर राजा नाहर सिंह के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन एसडी कॉलेज अम्बाला छावनी में आयोजित किया
अम्बाला / 14 नवम्बर / न्यू सुपर भारत
सूचना, जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला में वीर राजा नाहर सिंह के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन एसडी कॉलेज अम्बाला छावनी में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में भाजपा जिला प्रधान राजेश बतोरा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। उन्होंने दीप प्रज्जवलित करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।भाजपा जिला प्रधान राजेश बतोरा ने कहा कि हरियाणा की महान धरा पर राजा नाहर सिंह जैसे राष्ट्रभक्तों, सूरवीरों और रणबांकुरों ने जन्म लिया, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह का बलिदान अतुल्नीय और अविस्मरणीय है।
उनका पूरा जीवन संघर्ष, साहस, राष्ट्रभक्ति और बलिदान की कहानी है। राजा नाहर सिंह के जीवन से कईं पीढिय़ों ने प्रेरणा ली है और उनके जीवन से हमारी आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा प्रदान करता रहेगा। उन्होंने कहा कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम अम्बाला छावनी से शुरू हुआ था। आजादी के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के ज्ञात अज्ञात वीरो के बलिदान व उनके योगदान से देश वासियों व युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिले इसके लिए अम्बाला कैंट में करोड़ों रुपये की राशि से शहीद स्मारक गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज के विशेष प्रयासों से बनवाया जा रहा है।
इससे पूर्व कार्यक्रम में पंहुचने पर सूचना, जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा के अतिरिक्त निदेशक डा0 कुलदीप सैनी ने मुख्य अतिथि भाजपा जिला प्रधान राजेश बतोरा व दर्शकों का स्वागत करते हुए कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों की श्रृंखला में वीर राजा नाहर सिंह के नाटक का मंचन अम्बाला छावनी से शुरू किया गया है। इससे पूर्व भी 1857 का संग्राम हरियाणा के वीरों के नाम नाटक का मंचन तथा दास्तां ए रोहनात नाटक का मंचन भी किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि 12 मार्च 2021 को आजादी का अमृत महोत्सव शुरू हुआ था जो 15 अगस्त 2023 तक चलेगा। उन्होंने कहा कि देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाने के लिये हजारों वीरों ने अपने प्राणों की आहूति दी, जिसके परिणामस्वरूप आज हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे हैं। अपने वीर शहीदों के देशप्रेम, संघर्ष और बलिदान की कहानियों को जन-जन तक पंहुचाने के लिये आजादी का अमृत महोत्सव के तहत प्रदेशभर में अनेक गतिविधियों व कार्यक्रमों का आयोजन करवाया जा रहा है। उसी कड़ी में सूचना, जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग द्वारा नाटकों के माध्यम से युवा पीढ़ी को देशभक्ति व राष्ट्रप्रेम का संदेश दिया जा रहा है।
नाटक का सार-
यह नाटक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान, और संघर्ष की कहानी हैं। अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरोध में ये नाटक वीर राजा नाहर सिंह के बलिदान को चित्रित करते हुए उनके जीवन के अनगिनत पहलुओं को भी छूता हैं।जैसा कि हम जानते हैं कि हमारा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हैं। यह नाटक राजा नाहर सिंह इसी अमृत महोत्सव का एक छोटा सा भाग हैं। साथ ही ये प्रयास हैं कि इस नाटक के माध्यम से राजा नाहर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित हो, जिन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष करते हुए, हंसते हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
भारतीय इतिहास में उनके इस बलिदान को स्वर्ण अक्षरों में अंकित करते हुए, इस नाटक के माध्यम से उनके संघर्ष की गाथा को जनमानस के बीच पहुँचाना है ताकि अभी तक जिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बारे में जनमानस को और नायकों के मुकाबले में अधिक जानकारी नहीं हैं, उनको हमारे भारतीय नायकों के बारे में जानकारी मिल सके।ये नाटक राजा नाहर सिंह के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाते हुए उनकी वीरता को स्थापित करता हैं कि किस तरह अपनी बाल्यावस्था में ही उन्होंने तलवार के एक वार से एक सिंह की गर्दन उसके धड़ से अलग कर दी थी।
उनके व्यक्तिगत जीवन पर प्रकाश डालते हुए राजा नाहर सिंह और राजकुमारी कृष्ण कौर के विवाह का प्रसंग भी इस नाटक के माध्यम से दर्शकों को दिखाई देता हैं। बल्लभगढ़ के राज सिंघासन पर आसीन होने के बाद किस परिपक्वता के साथ उन्होंने राज-काज संभाला। किस तरह उन्होंने जाति पर आधारित भेद भाव को अपने राज काज से खत्म करने का भरसक प्रयत्न किया और अपने मंत्रिमंडल में सभी जातियों को उचित प्रतिनिधित्व दिया और अपने राज्य में सामाजिक समरसता ले कर आए।
नाटक में दिखाया गया कि राजा नाहर सिंह ने किसानों के पक्ष में काम करते हुए गरीब किसानों के कंधों से लगान का बोझ काम किया। उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देते हुए कईं जगहों पर विजय पताका फहराई। लेकिन अंग्रेजों ने उनके विरुद्ध षड्यंत्र रच कर उन्हें बंदी बना लिया। फिर भी अंग्रेजी साम्राज्य के सामने वो वीरता के साथ डटे रहे। आखिरकार अंग्रेजी हुकूमत ने उनपर मुकदमा कर के उन्हें फाँसी की सजा सुनाई। राजा नाहर सिंह ने देश की आजादी के लिए हँसते हँसते फांसी के फंदे को चूम लिया।
राजा नाहर सिंह के जीवन पर आधारित ये नाटक शास्त्रीय संगीत और देशभक्ति की भावना से ओत प्रोत गीतों से सुसज्जित हैं जिसने दर्शकों को रोमांच से भर दिया। इस नाटक को चाइनीस गिल और विनोद भारती के द्वारा सयुंक्त रूप से निर्देशित किया गया हैं। चाइनीस गिल युवा निर्देशक हैं इन्हे संगीत नाटक अकादेमी ने बिस्मिल्ला खान सम्मान प्राप्त हैं। संगीत में विशेष ख्याति रखने वाले चाइनीस गिल पिछले 12 वर्षो से रंगमंच से जुड़े हैं। विनोद भारती एक युवा निर्देशक हैं और पंजाब यूनिवर्सिटी के इंडियन थिएटर डिपार्टमेंट में विद्यार्थी रह चुके हैं।
लेखन और गीत लिखने के आलावा अभी तक 5 अन्य नाटकों का निर्देशन कर चुके हैं और पिछले 15 वर्षों से रंगमंच से जुड़े हैं।इस अवसर पर मुख्यतिथि राजेश बतोरा को अतिरिक्त निदेशक डॉ0 कुलदीप सैनी ने फूलों का गुलदस्ता व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में नाटक के निर्देशक चाइनीस गिल को मुख्यतिथि द्वारा शॉल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मण्डल प्रधान अजय पराशर, डीपीआरओ धर्मेंद्र शर्मा, पीआरओ सत्यपाल सैनी, प्रिंसिपल डॉ0 राजिंद्र सिंह राणा, प्रोफेसर नवीन गुलाटी, सुरेंद्र तिवारी, आशीष गुलाटी, ललित चौधरी, ललीता प्रसाद, बिजेंद्र चौहान, राम बाबू यादव, नरेंद्र राणा, श्याम सुंदर अरोड़ा, बंटी पहलवान, राजू बाली, अनिल कौशल, दीपक भसीन, डिम्पल राणा, गुरमीत सिंह, आशीष तायल सहित अन्य लोग मौजूद रहे।