November 24, 2024

पराली जलाने से पर्यावरण के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति को होता है बहुत बड़ा नुकसान : डीसी

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फतेहाबाद / 13 सितंबर / न्यू सुपर भारत

उपायुक्त जगदीश शर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा विशेष अभियान चलाकर किसानों को पराली नहीं जलाने के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके साथ-साथ पराली जलाने से पर्यावरण व भूमि में होने वाले नुकसान के बारे में भी किसानों को विस्तार से जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पराली नहीं जलाने के अभियान को किसानों व आमजन के सहयोग से एक जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि खेती योग्य भूमि की उर्वरा शक्ति व मिट्टी की तासीर की जांच के लिए खेतों से मिट्टी के सैंपल लिए जा रहे हैं। जागरूकता अभियान को लेकर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने एक विस्तृत योजना तैयार की है।

उपायुक्त श्री शर्मा मंगलवार को लघु सचिवालय के सभागार में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने पत्रकारों से रूबरू होते हुए जानकारी दी कि पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट की अनेक गाइडलाइन इस विषय पर हुई हंै। उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण में धान की पराली जलाना भी एक कारण सामने आया है। उन्होंने कहा कि जिला में किसानों को पराली न जलाने बारे कृषि विभाग आमजन के सहयोग से जागरूक करेगा।

इसके लिए जिला स्तर पर एक किसान मेला आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा ब्लॉक स्तर पर दस जागरूकता कैंप भी आयोजित किए जाएंगे। कृषि विभाग का विशेष प्रचार वाहन गांवों में जाकर किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करेगा। इस मौके पर डीडीए डॉ. राजेश सिहाग, डीडीडीएच डॉ. सुखविंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

इन सीटू और एक्स सीटू के तहत होगा पराली प्रबंधन:-
जिला में एक लाख 31 हजार 700 एकड़ क्षेत्र में धान की फसल हो रही है। इसमें 66 लाख क्विंटल पराली बनने की संभावना है। उपायुक्त ने बताया कि इस 66 लाख क्विंटल पराली का प्रबंधन कृषि विभाग की दो योजनाओं इन सीटू और एक्स सीटू के तहत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 50 प्रतिशत एक्स सीटू यानि बेल बनाने और गांठे बनाने में होगा। जिला में इस वर्ष 311 बेलर उपलब्ध होंगे और 50 बेलर दूसरे राज्यों से भी आकर यहां पराली प्रबंधन करेंगे।

इन सीटू के तहत खेत में ही पराली का निष्पादन किया जाता है। इसके तहत हैप्पी सीडर व सुपर सीडर का इस्तेमाल हो रहा है। जिला में इस वर्ष 1471 सुपर सीडर उपलब्ध हो जाएंगे, जो पराली का निष्पादन के साथ ही गेहूं की बिजाई भी करेंगे। उन्होंने बताया कि 39 लाख क्विंटल बेल बनाए जाने का लक्ष्य है, जिसके लिए विभिन्न एनर्जी प्लांट के लिए डिमांड आई हुई है।

किसानों को मिलेंगे प्रति एकड़ एक हजार रुपये:-
पराली प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा एक्स सीटू के माध्यम से प्रबंधन करने वाले किसानों को एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी गई थी। इस बार इन सीटू के माध्यम से भी पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को भी एक हजार रुपये प्रति एकड़ दिए जाएंगे। इसके लिए किसानों को कृषि तथा किसान कल्याण विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण करवाना होगा और अपनी फसल का विवरण पोर्टल पर देना होगा।

इसके बाद कृषि विभाग द्वारा किसान द्वारा पोर्टल पर दर्ज की गई फसल को मौके पर जाकर सत्यापित किया जाएगा। इस बारे किसान अपने नजदीकी संबंधित कृषि विभाग के अधिकारियों से जानकारी ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि 31 मार्च, 2022 तक 70 लाख रुपये किसानों को दिए जा चुके हैं। उपायुक्त ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि बकाया राशि किसानों के बैंक खाते में 30 सितंबर तक जारी की जाए।

जागरूकता के साथ-साथ सख्ती भी बरतेगा प्रशासन:-
उपायुक्त ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा किसानों को पराली न जलाने बारे जागरूक किया जाएगा। किसानों को पराली प्रबंधन के यंत्र भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। इसके साथ-साथ सरकार व प्रशासन के आदेशों की अवहेलना करने पर पराली जलाने वालों पर जिला प्रशासन सख्ती बरतेगा और नियमानुसार कार्यवाही करेगा। अगर किसी किसान ने अपने खेत में पराली जलाई तो उस पर जुर्माना किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 766 किसानों से चालान करके 19 लाख 60 हजार रुपये वसूल किए गए है।

गांवों से लेकर जिला स्तर पर बनी हैं कमेटियां:-
किसानों द्वारा धान के अवशेष में आग लगाने वालों की सूचना प्रशासन तक सीधी पहुंचे और किसानों को पराली न जलाने बारे जागरूक करने के लिए प्रशासन ने गांव से जिला स्तर पर कमेटियों का गठन कर दिया है। विलेज लेवल टीम में ग्राम सचिव, पटवारी, एडीओ, नंबरदार को शामिल किया गया है।

ब्लॉक लेवल टीम में बीडीपीओ, नायब तहसीलदार, कृषि विभाग के अधिकारी, उपमंडल स्तर पर एसडीएम, तहसीलदार तथा जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित बनी हैं, जो निगरानी के साथ-साथ किसानों को जागरूक करने में भी मदद करेगी। उप निदेशक कृषि विभाग के कार्यालय में कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।

मृदा जांच के लिए अभियान जारी:-
किसानों के खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य की जांच के लिए सरकार ने हर खेत-स्वच्छ खेत योजना लागू की है। इसके तहत जिला में किसान सहायकों के माध्यम से सैंपल लिए जा रहे हैं। दो बड़ी लैब कुलां व फतेहाबाद में स्थापित की गई है। पांच मिनी लैब भट्टू, रतिया, भूना, धारसूल व जाखल में स्थापित है।

अब तक एक लाख 75 हजार सैंपल ऑनलाइन किए जा चुके हैं और एक लाख 21 हजार सैंपल लैब में जांच के लिए जा चुके हैं। किसान सहायकों को प्रति सैंपल 40 रुपये दिए जा रहे हैं। अब तक किसान सहायकों को 35 लाख रुपये की राशि वितरित की जा चुकी हैं।

जिला में लंपी बीमारी कंट्रोल में:-
पत्रकारों से बातचीत करते हुए उपायुक्त जगदीश शर्मा ने बताया कि जिला में गोवंश में आई लंपी बीमारी की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। पशुपालन विभाग ने जिला में पशुओं का वैक्सीनेशन कर दिया है। एक लाख दस हजार वैक्सीन प्राप्त हुई थी, इनमें से एक लाख 6 हजार 535 गोवंश का टीकाकरण हो चुका है। जिला में फिलहाल केवल 258 पशु ही लंपी बीमारी से संक्रमित है, जिनका ईलाज चल रहा है।

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