पुलिस भर्ती केस सीबीआई को क्या गया , कांग्रेस के हाथ से मुद्दा चला गया
ऊना / 19 मई / राजन चब्बा
प्रदेश मेडिया प्रभारी सुमीत शर्मा ने जारी प्रेस बयान में कहा कि हिमाचल पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले की जांच अब सीबीआई करेगी। जिसे जयराम सरकार का साहसिक निर्णय करार दिया है। पेपर लीक होने की सूचना मिलते ही एफआईआर दर्ज कर एसआईटी गठित करने की जानकारी भी खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 6 मई को सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी थी। अब सीबीआई को मामला सौंपने की जानकारी भी खुद मुख्यमंत्री ने ही एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 17 मई को दी।
इन 11 दिनों में हिमाचल प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने करीब 73 आरोपियों को धर दबोचा। इनमें से 10 अन्य राज्यों के थे। जब मामले में अन्य राज्यों से गिरफ्तारियां हुई तो सीएम जयराम ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर डाली। जानकारों का मानना है कि पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले को सीबीआई को सौंपना मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का मास्टर स्ट्रोक है। इसकी दो वजहें हैं- एक तो यह कि जयराम ठाकुर चाहते हैं कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए ताकि राज्य सरकार पर किसी तरह की आंच न आए। दूसरा यह कि अब कांग्रेस पुलिस परीक्षा घोटाले को राजनीतिक बनाने में विफल होगी।
एसआईटी का काम तारीफ लायक
उन्होंने बताया कि जयराम ठाकुर सरकार ने तुरंत भर्ती को रद्द करने का फैसला किया। वहीं जांच के लिए एसआइटी का गठन कर इस केस में तुरंत एफआईआर के आदेश देकर प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बताया कि सरकार ने लिखित परीक्षा को रद्द करने का फैसला किया है।
सुमीत ने बताया कि चुनावी वर्ष होने के बावजूद पहले एसआईटी का गठन करने फिर समयानुसार ज़रूरत को जानते हुए इस केस को सीबीआई को हंसतांत्रित करना जयराम सरकार का साहसिक व मेहनती नौजवानों को न्याय देने जैसा रहा। वर्णीय है कि कांग्रेस शासित राजस्थान में भी पुलिस भर्ती पेपर लीक प्रकरण चल रहा है। जहां कांग्रेस नौजवानों के हितों की रक्षा करने में विफल रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर राज्य पुलिस निष्पक्षता से जांच करती, तब भी विपक्ष यह आरोप लगाता कि जांच निष्पक्ष नहीं हुई है। खास बात यह है कि सीएम ने सीबीआई को जांच सौंपने का फैसला तब लिया, जब कहीं से भी बड़ा दबाव नहीं था। ऐसे में अब विपक्ष के पास कहने के लिए ज्यादा कुछ नहीं बचा है। रही बात पेपर फिर से करवाने की तो पेपर भी इसी महीने के अंत तक करवाने की बात कही गई है।
सुमीत ने बताया कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय में भी प्रदेश कई महत्वपूर्ण परीक्षाओं में धांधली के आरोपों से जूझता रहा है। 2006 के पीएमटी परीक्षा पेपर लीक मामले ने पूरे देश में हिमाचल की किरकिरी करवाई थी। तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने हाइकोर्ट के निर्देश के बाद एसआईटी का गठन किया जिसमें तत्कालीन सरकार के एक मंत्री का रिश्तेदार इसमें शामिल था। इसके अलावा तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की भर्तियों में इंटरव्यू के नाम पर चहेतों को भर्तियां करवाने के आरोप भी पूर्व कांग्रेस सरकार पर लगे थे। वर्तमान जयराम सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया है।
यही नहीं, वनरक्षक होशियार सिंह मामले को भी हाई कोर्ट के दखल के बाद सीबीआई को सौंपा गया था। इसी तरह गुड़िया हत्याकांड के दौरान कांग्रेस सरकार के फैसले और उस समय के पुलिस अधिकारियों की कारगुजारियां अभी भी न्यायालय में विचाराधीन हैं।उस वक़्त की कांग्रेस सरकार ने अधिकारियों को पूरा संरक्षण दिया मगर लीपापोती सामने आने पर जांच सीबीआई के हाथ में चली गई थी। उन्होंने कहा कि यह जयराम सरकार ही है जो हर एक कि जवाबदेही तय करने में विश्वास करती है।उसी का परिणाम है कि प्रदेश के मेहनतकश नौजवानों से अन्याय न हो इसलिए अब सीबीआई इस मामले की जांच करेगी।