November 16, 2024

बुद्धि की मलिनता से हमारा विवेक दब जाता है: अतुल कृष्ण जी महाराज

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खीण माजरा (रोपड़ ) 28 नवंबर / एन एस बी न्यूज़

बुद्धि की मलिनता से हमारा विवेक दब जाता है। मनुश्य को नित्य.अनित्य का सतत विवेक रखना चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा अविनाशी ईश्वर की महागाथा है। हमें भगवान की प्राप्ति का ही साधन करना चाहिए। संसार की तुलना परमात्मा से नहीं हो सकती क्योंकि जगत नाशवान है जबकि परमात्मा शाश्वत। जगत का सच्चा अनुभव होने पर संसार से वैराग्य हो जाएगा। पर इसके विपरीत भगवान की महिमा अनुभव में आने से उनसे हमारी प्रीति हो जाएगी।

          उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने श्रीरमताराम आश्रम खीण माजरा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बार.बार कथा सुनने से अपने एवं भगवान के बीच की दूरी मिट जाती है। भगवान हमारे सुहृद हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि बच्चे के जन्म से पूर्व ही मां के स्तनों में दूध आ जाता है। कोई भी मां रोज ही दाल.रोटीए चावल.सब्जी खाती थी पर स्तनों में दूध नहीं उतरा। यह दूध न मां स्वयं पैदा कर सकती हैए न ही कोई रिश्तेदार लाया और न ही वह जन्म लेने वाला बच्चा लाया। परम आश्चर्य की बात यह कि मां दूध बच्चे के लिए उष्णताए स्वादएमिठास एवं पुष्टि में अनुकूल है। यह अनुकूलता न हो तो बच्चा दूध पिए ही नहीं। अंतर्यामी एवं सर्वशक्तिमान श्रीहरि की करुण के ऐसे अनंत प्रमाण जगत में उपलब्ध हैं। 

         महाराजश्री ने कहा कि प्रभु का आपसे सच्चा प्रेम है इसीलिए सारे संसार को अपनी सभी वस्तुएं वह मुफ्त में दे रहा है। जो लोग भगवान के आश्रय से दूर बैठे हैं वे अल्प मति वाले मनुष्य परम लाभ से वंचित हो रहे हैं। अत्यंत विस्मय की बात है कि हम ईश्वर को नहीं मानते फिर भी वे हमें अपना मानते हैं। आज कथा में पूतना उद्धारए भगवान का नामकरणए माखन चोरीए कालिय नाग का मर्दनए श्रीगोवर्द्धन पर्वत धारण की लीला सभी ने अत्यंत भाव से सुना। कथा के पश्चात् सभी ने आरती कर लंगर प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर अनेक मनमोहक झांकियां भी निकाली गईं।  

मनुश्य को नित्य.अनित्य का सतत विवेक रखना चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा अविनाशी ईश्वर की महागाथा है। हमें भगवान की प्राप्ति का ही साधन करना चाहिए। संसार की तुलना परमात्मा से नहीं हो सकती क्योंकि जगत नाशवान है जबकि परमात्मा शाश्वत। जगत का सच्चा अनुभव होने पर संसार से वैराग्य हो जाएगा। पर इसके विपरीत भगवान की महिमा अनुभव में आने से उनसे हमारी प्रीति हो जाएगी। 

         उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने श्रीरमताराम आश्रम खीण माजरा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बार.बार कथा सुनने से अपने एवं भगवान के बीच की दूरी मिट जाती है। भगवान हमारे सुहृद हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि बच्चे के जन्म से पूर्व ही मां के स्तनों में दूध आ जाता है। कोई भी मां रोज ही दाल.रोटीए चावल.सब्जी खाती थी पर स्तनों में दूध नहीं उतरा। यह दूध न मां स्वयं पैदा कर सकती हैए न ही कोई रिश्तेदार लाया और न ही वह जन्म लेने वाला बच्चा लाया। परम आश्चर्य की बात यह कि मां दूध बच्चे के लिए उष्णताए स्वादएमिठास एवं पुष्टि में अनुकूल है। यह अनुकूलता न हो तो बच्चा दूध पिए ही नहीं। अंतर्यामी एवं सर्वशक्तिमान श्रीहरि की करुण के ऐसे अनंत प्रमाण जगत में उपलब्ध हैं।     

     महाराजश्री ने कहा कि प्रभु का आपसे सच्चा प्रेम है इसीलिए सारे संसार को अपनी सभी वस्तुएं वह मुफ्त में दे रहा है। जो लोग भगवान के आश्रय से दूर बैठे हैं वे अल्प मति वाले मनुष्य परम लाभ से वंचित हो रहे हैं। अत्यंत विस्मय की बात है कि हम ईश्वर को नहीं मानते फिर भी वे हमें अपना मानते हैं। आज कथा में पूतना उद्धारए भगवान का नामकरणए माखन चोरीए कालिय नाग का मर्दनए श्रीगोवर्द्धन पर्वत धारण की लीला सभी ने अत्यंत भाव से सुना। कथा के पश्चात् सभी ने आरती कर लंगर प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर अनेक मनमोहक झांकियां भी निकाली गईं।  

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