November 16, 2024

धौलासिद्ध प्रोजेक्ट ने पकड़ी गति , 25 सौ कनाल अधिक ज़मीन का हो चुका अधिग्रहण ** हमीरपुर में 54 माह बाद शुरू हो जाएगा विद्युत उत्पादन **ब्यास नदी के किनारे 33-33 मेगावाट के बनेगे दो पावर हाउस

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( फाइल फोटो ) कैप्शन : व्यास नदी के मुहाने पर परियोजना के बारे आवश्यक परीक्षण करते हुए इंजीनियर। ( फाइल फोटो )

कैप्शन : धौलासिद्ध मंदिर जिसके नाम पर परियोजना का नाम रखा गया

हमीरपुर / 22 नवम्बर / रजनीश शर्मा

हमीरपुर जिला में बन रही 66 मेगावाट विद्युत परियोजना में ज़मीन अधिग्रहण कार्य ने तेज़ी पकड़ ली है। अब तक क़रीब 25 सौ कनाल ज़मीन का अधिग्रहण पूरा हो गया है तथा प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा राशि के चेक प्रदान कर दिए गये हैं। सुखद बात यह है कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया निर्विवाद रूप से तेज़ी से चली हुई है।करीब 17 वर्ष पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने हमीरपुर के धौलासिद्ध में विद्युत उत्पादन का जो सपना देखा उसे साकार करने का बीड़ा वर्तमान सीएम जयराम ठाकुर ने उठा लिया है।

एसजेवीएनएल के साथ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में 66 मेगावाट की क्षमता वाली 650 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली धौलासिद्ध जल विद्युत परियोजना का एमओयू साइन हो चुका है। इस विद्युत परियोजना को 54 माह यानी लगभग साढ़े चार वर्ष में पूरा करने की बात कही गई है। साइन किए गए एमओयू के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में 800 लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलना है। इसके अलावा अप्रत्यक्ष रूप से भी हजारों को रोज़गार मिलेगा। बताया जा रहा है कि हमीरपुर जिले की 10 जबकि सीमावर्ती कांगड़ा जिले की आठ पंचायतों के 713 परिवार इस परियोजना के बनने से प्रभावित होंगे। इसके अतिरिक्त 338 वर्ग हेक्टेयर कृषि, फोरेस्ट व शामलात जमीन परियोजना के डैम में डूबेगी। ब्यास के किनारे 33-33 मेगावाट के दो पावर हाउस बनेगे जिससे कुल 66 मेगावाट विद्युत उत्पादन होगा ।

प्रभावित होने वाली पंचायतें


धौलासिद्ध परियोजना के अंतर्गत कुल 18 पंचायतें आ रही हैं। इनमें से 10 पंचायतें जिला हमीरपुर तथा 8 पंचायतें जिला कांगड़ा की हैं। जिला हमीरपुर की चौड़ू, करोट, बनाल, चमयाना, दारला, सुजानपुर, टीहरा, धमरयाना, जोल, बीड़ बगेहड़ा तथा जिला कांगड़ा की टिपरी, कूहन, लाहड़ू, भेड़ी, आलमपुर, जांगल, जगरूपनगर, सकोह शामिल हैं।


अब डबल हुई लागत 


शुरू में 498 करोड़ की प्रस्तावित इस परियोजना की कॉस्ट अब लगभग डबल से ज्यादा हो चुकी है। वजह यह थी कि करीब चालीस गांव इस प्रोजेक्ट में पड़ते हैं, जिनका कुछ न कुछ भाग प्रभावित होता है। तकरीबन 6427 कनाल भूमि का अधिग्रहण होना है। इस अधिग्रहण में संबंधितों को मुआवजा राशि देने का काम तेज़ी से चला है। परियोजना को फ़ॉरेस्ट एवं पर्यावरण कलीयरेंस पहले ही मिल चुकी है।  
इस बारे में परियोजना के प्रोजेक्ट हेड राजेश कुमार जगोता ने बताया कि भू-मालिकों को मुआवज़ा राशि प्रदान कर ज़मीन अधिग्रहण का कार्य निर्विवाद चला हुआ है।एमओयू की शर्तों के मुताबिक़ सतलुज जल विद्युत निगम 54 माह में धौलासिद्ध प्रोजेक्ट को पूरा कर विद्युत उत्पादन शुरू कर देगा ।

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