हर दौर में अहम रहेगा मीडिया का रोल : श्रवण मांटा
मंडी / 16 नवंबर / पुंछी
पत्रकारिता बदलाव व विकास के दौर से गुजर रही है। लेकिन बदलते वक्त में भी समय के हर पड़ाव पर मीडिया का रोल हमेशा अहम रहेगा। यह विचार अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी श्रवण मांटा ने शनिवार को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर मंडी के डीआरडीए सभागार में आयोजित जिला स्तरीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर अपने संबोधन में व्यक्त किए। वरिष्ठ पत्रकार हेमकांत कात्यायन ने सम्मेलन की अध्यक्षता की।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा ‘रिपोर्टिंग-व्याख्या: एक यात्रा’ विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में सभी पत्रकारों ने अपने अनुभव साझा किए।
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने कहा कि रिपोर्टिंग करते हुए व्याख्या में निरपेक्षता और निष्पक्षता जरूरी है। इसमें अपने मत के मिश्रण से तथ्यात्मकता दाव पर नहीं लगनी चाहिए।
श्रवण मांटा ने कहा कि जनहित के मामलों को सामने लाने में मीडिया की बड़ी भूमिका है। समाज के अनेक छुपे पहलुओं व कारगुजारियों को उजागर करने में मीडिया तत्परता से काम करता है। समाज में ‘ओपिनियन बिल्डर’ के तौर पर भी मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है।
इस मौके प्रेस कल्ब मंडी के अध्यक्ष अंकुश सूद ने राष्ट्रीय प्रेस दिवस के आयोजन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय प्रेस परिषद ने 16 नवंबर 1966 को विधिवत अपना काम शुरू किया था, इसी उपलक्ष्य पर हर साल ये दिन मनाया जाता है। प्रेस दिवस निष्पक्ष व स्वतंत्र प्रेस मीडिया के संकल्प को मजबूती देने का अवसर है। उन्होंने कहा कि रिपोर्टिंग में व्याख्या हावी होती जा रही है जो अच्छा चलन नहीं है।
प्रेस कल्ब के महासचिव पुरूषोत्तम शर्मा ने रिपोर्टिंग में व्याख्या में पाठकों की ग्राह्यता और जनहित को ध्यान में रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संवेदनशील मामलों में रिपोर्टिंग करते हुए और उनकी व्याख्या में संयम बरतना जरूरी है ताकि समाज का तानाबाना न बिगड़े।
इस मौके वरिष्ठ पत्रकार किशोरी लाल सूद ने रिपोर्टिंग के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने पत्रकारिता के मूल्यों के संरक्षण पर जोर दिया साथ ही पत्रकारों की मजबूरियों व कठिनाइयों पर भी बात की।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार बीरबल शर्मा ने पत्रकारिता के बदलते दौर को लेकर अपने अनुभव बताए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में विश्वसनीयता का संकट गंभीर चुनौती है, इसे लेकर आत्मचिंतन जरूरी है। उन्होंने कहा कि मंडी जिले के छमयाल में ‘वॉल न्यूज पेपर’ की पुरानी विधा को नए सिरे से चलन में लाया गया है जो सराहनीय प्रयास है।
सम्मेलन में वरिष्ठ पत्रकार मुरारी शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अखबारों की संख्या में वृद्धि और उनमें ‘स्पेस’ बढ़ने से रिपोर्टिंग में व्याख्या के लिए बहुत जगह बनी है। जरूरी है कि ये तथ्यपरक हो। उन्होंने कहा कि समय के साथ समाचार लेखन की शैली में भी निखार आया है और अब समाचार लेखन को फीचर शैली से निजात मिल गई है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार पंकज पंडित ने रिपोर्टिंग करते हुए व्याख्या में तटस्थता की वकालत की और निजी हित व निजी भावना को इसमें मिलाने से बचने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि व्याख्या के अर्थ व असर का दायित्व भी पत्रकार का है।
सम्मलेन में वरिष्ठ पत्रकार दीपेंद्र मांटा ने रिपोर्टिंग में व्याख्या के फायदे-नुकसान पर बात करते हुए कहा कि पत्रकार का निष्पक्ष व निर्भय होना जरूरी है, तभी वह पक्षपात रहित व्याख्या कर सकता है।
इस दौरान युवा पत्रकार मुकेश ठाकुर ने पत्रकारिता में सोशल मीडिया के बढ़ते दखल व प्रभाव पर चिंता जताते हुए इससे बचने की जरूरत बताई। वहीं युवा पत्रकार आकृति ने रिपोर्टिंग को पत्रकार की ताकत और व्याख्या को उसकी जिम्मेदारी बताया।
इससे पहले, सम्मेलन के आरंभ में वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय डॉ. रमेश बाली और मशहूर कार्टूनिस्ट स्वर्गीय नरेश पंडित को श्रद्धांजलि अर्पित की गई । इनका पिछले दिनों देहावसान हो गया था।
इस मौके उपस्थित सभी पत्रकारों ने ग्रामीण पत्रकारिता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने पर वरिष्ठ पत्रकार संजय सैनी को बधाई दी। मंडी जिले के रहने वाले संजय सैनी वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के सूचना एवं जन संपर्क विभाग में सहायक लोक संपर्क अधिकारी के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सम्मेलन में विभिन्न समाचार पत्रों व इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया के पत्रकारों ने भाग लिया। इस मौके सूचना एवं जनसंपर्क विभाग मंडी के सभी अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।