November 16, 2024

गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं की प्रासंगिकता आज पहले से कहीं अधिक : डाॅ. सैजल

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सोलन / 12 नवम्बर / एन एस बी न्यूज़            

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी ने समाज में भाईचारे की भावना को सुदृढ़ कर एक नए युग की शुरुआत की और सामाजिक कुरीतियों का विरोध कर समाज को नई सोच और दिशा दी।

डाॅ. सैजल आज सोलन जिला के कसौली विधानसभा क्षेत्र के गड़खल स्थित श्री गुरू सिंह सभा गुरूद्वारा में प्रथम गुरू, गुरू नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव एवं 81वें गुरूमति समागम के शुभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।


उन्होंने इस शुभ अवसर पर श्री गुरू ंिसंह सभा गुरूद्वारा में शीश नवाया, संगत के दर्शन किए और सभी के सुख, स्वास्थ्य एवं समृद्धि की कामना की।
डाॅ. सैजल ने कहा कि श्री गुरू नानक देव जी ने समाज में व्याप्त ऊंच-नीच की बुराई को समाप्त करने और भाईचारक सांझ के प्रतीक के रूप में सबसे पहले लंगर की शुरुआत की। लंगर के माध्यम से उन्होंने सभी को प्राणीमात्र की एकरूपता का सन्देश दिया। उन्होंने कहा कि गुरू नानक देव जी ने सुमिरन अर्थात नाम जपने, सदैव परिश्रम करने और बांटकर भोजन करने का सन्देश दिया ताकि समाज में सदैव प्रेम, सौहार्द तथा भाईचारा बना रहे।  

 
डाॅ. सैजल ने कहा कि गुरू ग्रन्थ साहिब में संकलित गुरूओं की वाणी जहां मनुष्य को सांसारिक कत्र्वयों का पालन करते हुए परमपिता परमात्मा की और निरन्तर बढ़ने का मार्ग दिखाती है वहीं जीवन की प्रत्येक समस्या का समाधान गुरू वाणी में संकलित है। हम सभी को शब्द एवं वाणी को आत्मसात करना चाहिए तथा यह प्रयास करना चाहिए कि जीवन में शब्द एवं वाणी को व्यवहारिक रूप में अमल में लाया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रकाश पर्व हम सभी को जीवन के अन्धकार को सही मार्ग पर चलकर समाप्त करने का सन्देश देता है। उन्होंने कहा कि आज के तनाव एवं आपाधापी के जीवन में गुरू नानक देव जी की शिक्षाओं की प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। हम सभी को उनके दिखाए मार्ग पर स्वंय भी चलना चाहिए और अन्य से भी इनका अनुसरण करने का आग्रह करना चाहिए।


श्री गुरू ंिसंह सभा के अध्यक्ष मनिन्दर सिंह, सचिव जसविन्दर सिंह, सदस्य देवेन्द्र सिंह, रविन्दर सिंह, फौजा सिंह, सुरजीत सिंह, अरविन्द गुप्ता, सुरेन्द्र पाल, विक्रम सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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