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आपदा प्रभावितों के लिए मददगार होगी 3-डी एवं लैगो तकनीक : राहुल चौहान

हमीरपुर / 30 जनवरी / न्यू सुपर भारत /

किसी भी तरह की आपदा के कारण बेघर होने वाले लोगों के लिए बेहतर अस्थायी आश्रय यानि शैल्टर इत्यादि बनाने का प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के सहयोग से यहां होटल हमीर में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला वीरवार को संपन्न हो गई। इस कार्यशाला में विभिन्न डिग्री कॉलेजों, अन्य शिक्षण संस्थानों, लोक निर्माण विभाग, जलशक्ति विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी एवं मास्टर ट्रेनरों ने आधुनिक 3-डी और लैगो तकनीक से बनने वाले अस्थायी शैल्टरों के बारे में गहन जानकारी हासिल की। इस दौरान ब्रिटेन के बर्मिंघम के एस्टन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को 3-डी और लैगो तकनीक की बारीकियां समझाईं।

कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित करते हुए एडीएम एवं कार्यवाहक उपायुक्त राहुल चौहान ने कहा कि किसी भी तरह की आपदा के बाद प्रभावितों को अस्थायी आश्रय प्रदान करना भी आपदा प्रबंधन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू होता है। इसके मद्देनजर डीडीएमए हमीरपुर द्वारा आयोजित यह तीन दिवसीय कार्यशाला काफी महत्वपूर्ण साबित होगी। क्योंकि, आपदाओं के बाद किए जाने वाले विभिन्न प्रबंधों को लेकर हिमाचल प्रदेश में संभवतः यह एक नई पहल है। आपदा प्रभावितों के लिए बेहतरीन अस्थायी आश्रय प्रदान करने की दिशा में यह कार्यशाला एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। उन्होंने कार्यशाला के सभी प्रतिभागियों और डीडीएमए के अधिकारियों से आह्वान किया कि वे इस आधुनिक तकनीक के बारे में अधिक से अधिक हितधारकों और आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी विभागों के अधिकारियों को अवगत करवाएं। कार्यवाहक उपायुक्त ने 3-डी और लैगो तकनीक से तैयार किए गए विभिन्न मॉडलों का अवलोकन भी किया।

इस अवसर पर एस्टन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों डॉ कोमल राज आर्यल और डॉ. यी-चुंग लियू, डीडीएमए की प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण अधिकारी समीक्षा शर्मा तथा जिला एमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर के प्रभारी भानु शर्मा ने कार्यवाहक उपायुक्त को कार्यशाला के दौरान करवाई गई विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। कार्यशाला के समापन अवसर पर एसडीएम संजीत सिंह और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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