घुमारवीं 2 अक्टूबर पवन चंदेल
जहां समाज युवाओं के नशे के प्रति बढ़ते झुकाव की समस्या से जूझ रहा है तथा युवा पीढ़ी आरामदायक जिंदगी को जीने के लिए दिन रात एक कर रही है वही फरीदाबाद हरियाणा का 25 वर्षीय एक युवा मैकेनिकल इंजीनियर ग्लोबल वार्मिंग व युवाओं में एकता व फिटनेस का संदेश देने के लिए हाथ में तिरंगा लिए हुए जम्मू से कन्याकुमारी तक 13000 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने पर निकला है। मंगलवार को प्रातः घुमारवीं से अपनी पैदल यात्रा पुनः शुरू करने से पूर्व फरीदाबाद एक सेवानिवृत्त अध्यापक आरके मित्तल व स्नेह लता मित्तल के 4 बच्चों में सबसे छोटे अरुण मित्तल ने बताया की हालांकि बचपन से ही पढ़ाई में अब्बल होने के साथ उन्हें एडवेंचर तथा पर्यावरण के लिए काम कर रही संस्थाओं के साथ काम करने की रुचि थी एमडीयू रोहतक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने एनरिक इंडिया ट्रक प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली जैसी विभिन्न कंपनियों में काम किया इसके साथ ही उन्होंने इको राइडर जैसी विभिन्न एनजीओ के साथ शैक्षणिक संस्थानों में में विद्यार्थियों को पर्यावरण तथा आपदा व सड़क सुरक्षा संदर्भ में युवाओं को जागरूक किया मित्तल के अनुसार 2 माह पूर्व उनकी माता के आकस्मिक निधन ने उन्हें अपने सपने को जीवंत करने के लिए प्रेरित किया तथा उन्होंने अपनी यात्रा 13 सितंबर को जम्मू से पौधारोपण करने के उपरांत की उन्होंने कहा कि फिलहाल उनका कोई स्पॉन्सर नहीं है तथा अपने 3 वर्ष की नौकरी के दौरान उनके द्वारा बचत की गई राशि से यात्रा कर रहे हैं उन्होंने बताया कि उनकी यात्रा देश के 29 राज्यों की राजधानी से गुजरेगी मित्तल ने कहा 13000 किलोमीटर लंबी इस यात्रा को पूरा करने के लिए खराब मौसम व रास्तों में आने वाली बाधाओं के चलते वह निर्धारित समय नहीं बता सकते परंतु अनुमानित 1 वर्ष 3 माह के समय में इस यात्रा को पूरी करेंगेअभी 300 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा में उनका अनुभव यादगार व प्रेरणा दायक है हर क्षेत्र में युवा उनका गर्म जोशी से स्वागत कर रहे हैं। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि ग्लोबल वार्मिंग राष्ट्रीय एकता वह सुरक्षा के प्रति जागरूक हो मित्तल ने कहा कि इतिहास रचने के लिए इतिहास जानना जरूरी है इसलिए अपने इतिहास को जाने तथा अपनी संस्कृति को सहेजें भारत की महानता व विशेषता विविधता में एकता रही है तथा युवा इसे समझो रखने में अपना योगदान दें।मित्तल का कहना है कि उन्हें किसी ने स्पॉन्सर नहीं किया तथा वह अपनी सेविंग से इस यात्रा का खर्च उठा रहे हैं हालांकि उन्होंने फिर कुछ सामग्री बनाने वाली कंपनी डी कैथलओन से आवेदन किया है उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए उन्हें देश की पहली ऑल इंडिया साइकिलिस्ट सविता से भी प्रेरणा मिली उन्होंने कहा कि यदि वह इस यात्रा में सफल हुए तो यह एक विश्व रिकॉर्ड होगा जिसके लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड उनके संपर्क में है