हमारे जीवन में जो कुछ भी घटित हो रहा है उसे ईश्वर का मंगलमय विधान ही समझना चाहिए : स्वामी अतुल कृष्ण
हमारे जीवन में जो कुछ भी घटित हो रहा है उसे ईश्वर का मंगलमय विधान ही समझना चाहिए : स्वामी अतुल कृष्ण
ऊना, 28 जुलाई :
हमारे जीवन में जो कुछ भी घटित हो रहा है उसे ईश्वर का मंगलमय विधान ही समझना चाहिए। हो सकता है कि वह अभी हमारी समझ में न आए, बुद्धि स्वीकार न करे पर यही सच्चाई है। परमात्मा जो कुछ भी करता है उसमें उसके आश्रित जनों का मंगल ही समाया हुआ है। इसलिए परम मंगलकारी प्रभु को बार-बार धन्यवाद देते रहना चाहिए। जो मनुष्य अहोभाव से अपने को प्रभु चरणों में समर्पित कर देता है उसका बेड़ा पार हो जाता है। ऐसा कोई व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति नहीं जो भक्त के संकल्प बल के आगे बदलने को राजी न हो। यह अमृतवचन श्रीशिव महापुराण कथा के नवम दिवस में परम श्रद्धेय स्वामी अतुल कृष्ण जी महाराज ने शिव मंदिर, बिजली बोर्ड काम्प्लेक्स, रक्कड़ कालोनी, ऊना में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवान शिव की भक्ति हमें जीवन में इतनी ऊंचाई एवं सफलता देती है कि व्यक्ति जब पीछे मुड़कर देखता है तो उसे स्वयं आश्चर्य होता है कि हम तो इसके काबिल न थे फिर भी यह सब कैसे हो गया। भगवान शिव एवं भगवान कृष्ण अपने भक्तों की कभी पीठ नहीं लगने देते। दुर्योधन मरते समय हैरान हो रहा है कि मैं तो सौ भाई था जिसमें से कोई भी नहीं बचा पर पांडव पांच ही थे उनमें से किसी का भी बाल बांका नहीं हुआ। द्रोपदी के भी प्रसंग में जब उसने भरी सभा में सभी की ओर आस भरी दृष्टि से देखा कि कोई तो मेरी सहायता करो। पर सभी श्रेष्श्ठजनों ने दुर्योधन के भय से सिर नीचे कर लिया। तब कृपाचार्य ने अपनी एक उंगली उठा कर महारानी द्रोपदी को संकेत किया कि तुम एकमात्र भगवान की शरण हो जाओ। द्रोपदी को समझते देर न लगी, उसने भगवान को आर्त भाव से पुकारा। परिणाम हम सभी जानते हैं कि द्रोपदी के लिए का परम मंगल हुआ महाराजश्री ने कहा कि देर हमारी ओर से है, परमात्मा की ओर से नहीं। जीवन का हर पल बहुत तेजी से बीतता ही जा रहा है। संसार के दायित्व निभाते हुए भी प्रभु का भजन किया जा सकता है। राजा जनक इत्यादि इसके प्रमाण हैं। आज कथा में वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर एवं घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा तथा हनुमान एवं दुवार्सा अवतार का प्रसंग सभी ने अत्यंत श्रद्धा से सुना। इस अवसर पर सर्वश्री निरंजन शास्त्री, आर डी अग्निहोत्री, ओम प्रकाश शर्मा, विजय गर्ग, राम विनोद मेहता, अश्विनी शर्मा, खुशविन्दर सिंह, राकेश कौशल, जसविन्दर सिंह, सुशील धीमान, नीरज शर्मा, अजय पराशर, गुरजीवन शुक्ला, मनजिन्दर सिंह, शांति स्वरूप, जीवन शर्मा, राजेष ठाकुर, विजय कुमारी, बीना गर्ग इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कथा के संयोजक आर डी अग्निहोत्री ने बताया कि 29 जुलाई को डेरा बाबा रुद्रानंद के परमाध्यक्ष श्रीश्री 1008 स्वामी सुग्रीवानंद जी महाराज भी कथा में पधार कर संगत को निहाल करेंगे।